कण-कण में भगवान यह घोर है अज्ञान। सब में है भगवान मूर्खतापूर्ण है यह ज्ञान। कण-कण में शक्ति, शरीरों में जीवात्मा, आकाश में आत्मा और परमआकाश रूप परमधाम में सदा रहते हैं परमात्मा, सिवाय अवतार बेला में एकमेव एक अवतारी शरीर मात्र के।
सन्त ज्ञानेश्वर स्वामी सदानन्द जी परमहंस द्वारा नकली भगवानों का पर्दाफाश तथा सबकी वास्तविकता समाज में
प्रिये बंधुओ । इस समय धरती पर नकली भगवानों की बाढ़ सी आयी हुई है।ये जितने भी तथाकथित धर्म गुरु हैं सब के सब अपने को भगवान घोषित करने मे लगे हुए हैं। धर्म के ये ठेकेदार धर्म के नाम पर जनता का शोषण करने लगे हैं। लेकिन धर्म के नाम पर व्यापार करने वाले इन नकली भगवानों का यह पाखण्ड अब ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगा क्योंकि अब इन सबका पर्दाफाश हो चुका है। जानिए कुछ ऐसे ही धर्म के नाम पर पाखण्ड फैलाने वाले नकली भगवानों की वास्तविकता –
ऐसे ही तथाकथित गुरुजनों की भीड़ में प्रमुख नाम हैं सतपाल महाराज और उनके भूतपूर्व शिष्य महेश कुमार उर्फ वेद प्रवक्तानन्द उर्फ आशुतोष महाराज.....
सत्यान्वेषी बन्धुओं! स्वयं को जगतगुरु, परमात्मा और तत्वदर्शी कहने वाले रामपाल जी महाराज ने जनमानस को भ्रमित करके अपनी मिथ्या महत्वाकांक्षा की पूर्ति हेतु धर्म.....
निरंकारियों के निरंकार को ही लीजिये कि निरंकार माने क्या ? थोड़ा सा भी गौर किया जाय तो अवश्य ही समझ में आ जायेगा कि निरंकार माने एक प्रकार की नास्तिकता.....
आर्यसमाजियों को ही देखिए कि वेद को स्वीकार करते हैं-- ॐ को स्वीकार करते हैं-- यज्ञ-हवन नित्य करते हैं मगर एक दयानन्द को छोड़ कर सबकी निन्दा करना, सबका खण्डन.....
आइए ! यहां पर दो चार शब्द, शारांश रूप में रजनीश के विषय में भी जाना-देखा जाय । विस्तार से तो इन सब पर आगे चलकर इसी पुष्पिका में अथवा आवश्यकता महसूस.....
सोऽहँ की साधना करने वालों को बतला दूँ कि सोऽहँ-परमात्मा तो है ही नहीं, विशुध्दत: आत्मा भी नहीं है । यहाँ तक कि यह कोई योग की क्रिया भी नहीं है, बल्कि सोऽहँ.....
किसी को उपदेश देना एक पवित्र कार्य है । उसमें भी धर्मोंपदेश देना तो बहुत ही पवित्र कार्य है । समाज को ज्ञानमय-भगवन्मय उपदेश देना तो जीवन का उद्देश्यमूलक.....
समाज में ॐ देव की सांस्कृतिक मान्यता को स्थापित करने के बजाय इस पुलिंग प्रधान ॐ देव को विस्थापित कर-हटाकर स्त्रीलिंग प्रधान सरासर झूठी और गलत तथाकथित गायत्री.....
तथाकथित भगवानों की भीड़ में एक भगवान् ऐसे भी हैं जिन्हें कि परमात्मा-परमेश्वर और उनके तत्त्वज्ञान रूप भगवद्ज्ञान का तो लेशमात्र भी कुछ अता ही पता नहीं, आत्मा-ईश्वर.....
गीता परमब्रह्म-परमेश्वर के पूर्णावतार भगवान् श्रीकृष्ण जी का अशेष अथवा सम्पूर्ण (गीता 7/2) ज्ञान वाला एक सम्पूर्ण ज्ञान ग्रन्थ है जिसमें 'कर्म' एवं 'योग या अध्यात्म'.....
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