शिष्यों से झूठ बोलकर बन गए भगवान !!!

सत्यान्वेषी बंधुओं ! दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के संस्थापक आशुतोष महाराज के भगवान बनने की महत्वाकांक्षा का महल एक जबरदस्त ‘झूठ’ पर टिका हुआ है। एक ऐसा झूठ जिसमें फँसकर आज लाखों लोगों की धार्मिक भावनाओं का शोषण हो रहा है। आशुतोष जी अपने शिष्यों को बताते हैं कि उनका जन्म पटना/दरभंगा (बिहार) के एक अति सम्पन्न परिवार हुआ था और वे विदेश से पढ़ाई करने के बाद परमात्मा की खोज में हिमालय पर पर तपस्या करने गए थे और वहाँ एक दिव्य पुरुष ने प्रकट होकर उन्हे ब्रह्मज्ञान दिया फिर वह दिव्य पुरुष अदृश हो गया और आज वही ब्रह्मज्ञान आशुतोष जी अपने शिष्यों को दे रहे हैं !"
जबकि वास्तविकता यह है कि आशुतोष जी का असली नाम महेश कुमार है और उनका जन्म बिहार के दरभंगा जिले के शुभंकरपुर नामक ग्राम में 06-08-1946 ई॰ में हुआ था। इनके पिता श्री देवानन्द जी का खेती का व्यवसाय था। आशुतोष जी उर्फ महेश कुमार जी ने अपनी पढ़ाई 1968 में दरभंगा के सी॰ एम॰ कालेज से पूरी की थी। प्रमाण के लिए देखिए उनके पासपोर्ट की प्रतिलिपि –

14-04-1973 को महेश कुमार जी वेद प्रवक्तानन्द नाम से सतपाल जी महाराज के यहाँ शिष्यरूप में समर्पित हो गए। तत्पश्चात् इनके गुरु सतपाल जी ने इन्हे भगवा वस्त्र देकर विदेशों में प्रचार करने के लिए भेजा जहाँ इनके ऊपर कुछ गंभीर आरोप लगने के कारण सतपाल जी ने इन्हे वापस बुला लिया और इनके भगवा वस्त्र वापस ले लिए। उसके बाद एक दिन वेद प्रवक्तानन्द जी अपने गुरु सतपाल जी का आश्रम छोडकर चले गए और लगभग 5 वर्ष तक भूमिगत रहे। तत्पश्चात् जब ये समाज में वापस लौटे तो बन चुके थे ‘आशुतोष जी महाराज’।

देखिए कितनी विचित्र बात है कि सतपाल जी के यहाँ भरे गए फॉर्म में ये स्वयं लिख रहे हैं कि सतपाल जी के शिष्य बनने से पहले ये नास्तिक थे। अब देखिए आज वही नास्तिक स्वयं को भगवान कह रहा है !!! भगवान भी कभी नास्तिक होता है ? ये अपने गुरु के बारे में कभी भी अपने शिष्यों को कुछ नहीं बताते हैं। प्रमाण के लिए देखिए सतपाल जी के आगे हाथ जोड़कर बैठे वेदप्रवक्तानन्द उर्फ आशुतोष जी का फोटो और समर्पित होते समय भरा गया फॉर्म –

अपने गुरु सतपाल महाराज के आगे हाथ जोड़कर बैठे वेदप्रवक्तानन्द उर्फ आशुतोष जी महाराज